Sunday, May 2, 2010

कार्डियक टेस्ट (हृदय की जॉंच)
कार्डियक टेस्ट क्या है और कैसे की जाती है?
हृदय की जॉंच इसकी और इससे सम्बन्धित अवयवों की कार्य क्षमता को मापने के लिए की जाती है । हृदय में छिपी हुई असामान्यता का निदान हो जाने से शीघ्र ही उसका इलाज किया जा सकता है । निदान की आवश्यकता और ध्येय के आधार पर निम्न लिखित टेस्ट किये जा सकते हैं -
अक्षत टेस्ट (नॉन-इनवेसिव)
•ई.सी.जी. (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम)
•2डी इकोग्राम
•कार्डियक सी.टी.
रक्त परीक्षण -
•कार्डियक एन्जाइम
क्षतकारी टेस्ट (इन्वेसिव) -
•हृदय की एन्जियोग्राफी
•हृदय का परफ्यूजन टेस्ट
ई.सी.जी. इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम
•यह नैदानिक परीक्षा सामान्यतः नित्यक्रम में करवाई जाती है ।
•इसे आसानी से कहीं भी किया जा सकता है ।
ई.सी.जी. का उद्देश्य
•हृदय के क्रियाकलाप की एक जॉंच है और इससे ऐसी घटना, जिसे भूत में कभी महसूस किया गया था जो लक्षणहीन घटना हो, उसकी जानकारी मिल जाती है ।
•अचानक छाती में दर्द होने पर हृदयाघात के लक्षणों के लिए किया जाने वाला पहला टेस्ट है ।
•हृदयातिपात (हर्ट फेलयर) से भरती रोगियों को मानिटर करने के लिए एरिदमिया और हृदयगति रूकने पर, अतःस्थि रक्त थक्का (थ्रोम्बालाइसिस) और सभी प्रकार के हृदय रोगियों में इ.सी.जी. की जाती है ।
इसकी तैयारी कैसी की जाती है ?
•कोई विशिष्ट तैयारी की जरूरत नहीं होती, और न ही आहार परिवर्तन की जरूरत होती है ।
•स्त्री को दो टुकड़े के वसन धारण करना चाहिए ताकि उपरी वसन को टेस्ट में निकाल सकें ।
•यदि आप किसी प्रकार की ब्लड प्रेशर की देवा ले रहे हो तो आपको डॉक्टर को सूचना दे देना होगा और विशेषकर यदि आपको पेसमेकर लगा हो तो भी इसकी सूचना दे देवें ।
यह कैसे किया जाता है ?
कपड़े खुला दिये जाते हैं ताकि छाती प्रदर्शित हो सके । छाती पर लीड़ या इलेक्ट्रोड लगाये जाते है जिससे इलेक्ट्रिक रिदम आता है । दायें और बाये पौचों और पैरों पर भी लीड लगाई जाती है । इलेक्ट्रिक संवेदन चमडी से प्रप्ति के लिए संवहनार्थ जैली लगाई जाती है ।
इलेक्ट्रोड को रिकार्ड करने वाली मशीन से जोड दिया जाता है और स्विच खोलने पर यह लम्बी पेपर की पट्टी पर इलेक्ट्रिक संवेदना को रिकार्ड करती है । इस लंबे पेपर की पट्टी पर काले वर्ण से रिकार्डिंग होती है । पूरे तौर पर ई.सी.जी. रिकार्ड करने के बाद मशीन बंद कर दी जाती है । लीड्‌स निकाल दिये जाते हैं और जैली को पोंछ दिया जाता है ।

इसमें कैसा महसूस होता है ?
•इ.सी.जी. से कोई तकलीफ नहीं होती, नही किसी तरह का टेस्ट किये जाने की संवेदना होती है ।
•जहॉं जैली लगाई जाती है वहॉं ठंडेपन का अहसास होता है, किन्तु किसी तरह का चमड़ी पर कोई असर नहीं होता ।

इसमें क्या खतरा हो सकता है?
यह अत्यन्त सुरक्षित कर्म है, इसमें किसी तरह का खतरा नहीं है । वास्तव में यह हृदय रोगियों के लिए एक उपयोगी टेस्ट है ।
इसके परिणाम क्या दर्शाते हैं ?
•हदय का संवहन सामान्य होने पर सामान्य परिणाम होते हैं, जो हृदय को सामान्य कार्य को दर्शाते हैं ।
•असामान्य ट्रेसिंग को देखकर कई हृदय रोगों का निदान किया जा सकता है । जिन अंशों में इ.सी.जी. ट्रेसिंग में असामान्यता होती है उससे हृदय के उस हिस्से के प्रभावित होने का आभास हो जाता है ।
•आपका डॉक्टर आपकी रिपोर्ट और आपके लक्षणों का संबंध स्थापित कर निदान करता है और आपकी आगे की चिकित्सा बताता है ।
हृदयरोग और इकोकार्डियोग्राम
आपके हृदय की पेशियों, हृदय के वाल्व और हृदय रोगों के खतरों की जॉंच के लिए अल्ट्रासाउण्ड पर आधारित इकोकार्डियोग्राम किया जाता है ।
मुझे इकोकार्डियोग्राम की क्यों जरूरत है?
आपका डॉक्टर इन बातों के लिए इकोकार्डियोग्राम करता है-
•हृदय के पूरे कार्यों का लेखा जोखा जानने ।
•हृदय रोग किस टाईप का है य जानने
•समय बीतने पर हृदय के वाल्व की बीमारी की प्रगति जानने
•औषध या शल्य चिकित्सा के प्रभाव की परीक्षा करने
इकोकार्डियोग्राम के क्या प्रकार हैं?
कई प्रकार के इकोकार्डियोग्राम होते हैं, आपका डॉक्टर आपके लिए कौनसा सहायक होगा, निश्चय करता है ।
ट्रांस-थोरासिक इकोकार्डियोग्राम : यह सामान्य इकोकार्डियोग्राम होता है । यह एक्सरे की भॉंति वेदना विहिन होता है, किन्तु इसमें विकिरण नहीं होता । इसमें वही तकनीक का उपयोग होता है जो जन्म से पूर्व बच्चे का स्वास्थ्य जॉंचने के लिए किया जाता है । हाथ में उपकरण धारण करते है जिसे ट्रासड्यूसर कहते है। इसे छाती पर रखते हैं, इससे ऊंची फ्रिक्वेंसी की ध्वनि तरंगे निकलती हैं। ये ध्वनि तरंगे हृदय की रचना से टकराकर आती है और एक आकृति बनती है । ध्वनि का उपयोग डॉक्टर हृदय की क्षति और रोग निदान के लिए करते हैं ।
ट्रांस ईसोफिजियल इकोकार्डियोग्राम (टी.ई.ई.): इस टेस्ट में ट्रांसड्यूसर को गले से इसोफेगस तक पहुँचाया जाता है । इसोफेगस हृदय के पास स्थित होता है । इसलिए फेफड़ो और छाती से बच कर हृदय की स्पष्ट छवि प्राप्त की जा सकती है।
स्ट्रेस इकोकार्डियोग्राम: इस इकोकार्डियोग्राम को व्यक्ति ट्रेडमिल या स्थिर साइकिल पर व्यायाम कर रहा होता है, तब किया जाता है । इस टेस्ट से हृदय की दिवारों और पंपिंग की क्रिया को देखने में होता है क्योंकि इसमें हृदय तनावग्रस्त रहता है । इसमें हृदय में रक्त संवहन की कमी देखी जा सकती है, जो कि आराम करते समय सामान्य होती है । इकोकार्डियोग्राम व्यायाम शुरु के कुछ पहले या तुरन्त बाद किया जाता है ।
डोबुटामाइन या एडिनोसिन या सेस्टामिबी स्ट्रेस इकोकार्डियोग्राम : इस प्रकार के इकोकार्डियोग्राम में हृदय के लिए स्ट्रेस का व्यायाम आवश्यक नहीं होता । इसमें दवा से उसी प्रकार की उत्तेजना हृदय में उत्पन की जाती, जिस प्रकार की व्यायाम करने से होती है । यह उन रोगियो में विशेषतः उपयोग होता है जो ट्रेडमिल या स्थिर साइकिल पर व्यायाम नहीं कर पाते । यह आपके हृदय क्षमता को दर्शाता है और आपके कोरिनरी धमनी (आर्टरी) के रोग (धमनी अवरोध) की संभावना को बताता है । यह अक्सर धमनी का अवरोध (एथिरोक्लिरोसिस) की पूरी जानकारी प्रदान करता है ।
मैं इकोकार्डियोग्राम के लिए कैसे तैयार होऊँ?
इकोकार्डियोग्रम किये जाने वाले दिन आप सामान्य खान-पान करें । डॉक्टर के निदेशानुसार उपयुक्त समय पर सभी दवाएँ लें ।
इकोकार्डियोग्राम में क्या होता है?
•इकोकार्डियोग्राम करते समय आपको दवाखाने से दिया गया गाउन पहनना पड़ता है । आपको कमर के ऊपर के वस्त्रों को निकालने को कहा जा सकता है। तीन इलेक्ट्रोड (छोटे चपटे और चिपकने वाले पैच) आपकी छाती पर लगा दिये जाते हैं। ये इलेक्ट्रोड इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी के मॉनिटर को जोड दिये जाते हैं जो आपके हृदय की क्रियाओं को मापते है ।
•सोनोग्राफर आपको परीक्षा टेबल की बॉंयी ओर सुलाता है । फिर वह एक छड़ी (जिसे साउण्ड वेव ट्रान्सड्यूर कहते हैं) को आपकी छाती पर कई जगह रखता है । छड़ी पर थोड़ा सा जेल लगाया जाता है । इससे आपकी चमड़ी को नुकसान नहीं होता । जेल से साफ छवि मिलने में सहायता भी होती है ।
•ध्वनि डॉपलर सिग्नल का एक भाग है । टेस्ट करते समय आपको ध्वनि सुनाई दे सकती है या नही भी सुनाई दे सकती है । आपको कई बार अपनी स्थिति बदलने को कहा जाता है ताकि हृदय की विभि क्षेत्रों से छवि ली जा सके । परीक्षा करते समय आपको सॉंस थामने को कई बार कहा जा सकता है ।
•टेस्ट करते समय आपको कोई बड़ी तकलीफ नहीं होती, हॉं, ट्रांसड्यूसर पर लगे जेल से थोड़ा ठंडापन लग सकता है और ट्रॉंसड्यूर का छाती पर थोड़ा दबाव पड़ता है ।
•इस टेस्ट को करने में 40 मिनट लगते हैं । टेस्ट के बाद आप अपने वसन धारण कर सकते हैं और अपने दैनिक कर्म कर सकते हैं । आपका डॉक्टर आपके टेस्ट के परिणाम आपसे चर्चा करेंगे ।
स्ट्रेस इकोकार्डियोग्राम के लिए मैं क्या तैयारी करूँ?
•यदि आपको डोबुटामाइन स्ट्रेस इको किया जाना है और आपको पेसमेकर लगा हो तो, आप अपने डॉक्टर से विशिष्ट निदेशों के लिए सम्पर्क करें । टेस्ट के पहले आपके उपकरण को जॉंचा जाएगा ।
•स्ट्रेस इकोकार्डियोग्राम के दिन चार घंटे पूर्व से कुछ खायें-पीयें नहीं । केवल जल पान करें । किसी प्रकार का कैफीन युक्त पदार्थ (कोला, चॉकलेट, कॉफी आदि) न पीयें, न खायें । कैफीन से टेस्ट में परिवर्तन आ सकता है । दवा में भी कैफीन होतो इसके बारे में आपके डॉक्टर, फार्मेसिस्ट या नर्स से इसकी जानकारी लेवें ।
•टेस्ट आरंभ होने के 24 घंटे पहले निम्नलिखित हृदयरोग की दवाएँ न लें अन्यथा आपका डॉक्टर यदि आपको छाती में तकलीफ होती है तो वह आपको इसकी सलाह देता है ।
बेटा ब्लाकर (जैसे टेनार्मिन, लोप्रेसॉर, टॉप्रॉल या इन्डेराल)
आइसोसार्बाइड डाईनाइट्रेट (जैसे आइसोर्डिल, सॉरब्रिट्रेट)
आइसोसार्बाइड मोनोनाइट्रेट(जैसे ईस्मो, इन्ड्यूर, मोनोकेयर)
नाइट्रोग्लीसरीन (जैसे डेपोनिट, निट्रोस्टेट, नाइट्रोपैचेस)
दवा संबंधी किसी प्रकार की शंका डॉक्टर से निवारण करें । डॉक्टर की पूर्व सलाह के बिना दवा कभी बन्द न करें । यदि आप किसी प्रकार का इन्हेलर का उपयोग कर रहे हों तो उसे अपने साथ ले जायें ।
यदि मुझे मधुमेह हो तो क्या करूँ ?

•यदि आप मधुमेह नियंत्रण के लिए इन्सुलिन का प्रयोग कर रहे हो तो टेस्ट वाले दिन कितना इन्सुलिन लेना होगा, इसकी जानकारी डॉक्टर से ले लेंवे । प्रायः डॉक्टर आपको इसकी आधी मात्रा की सलाह देगा और टेस्ट के पूर्व अल्प आहार की सलाह देगा ।
•यदि आप शुगर नियंत्रण के लिए गोली ले रहे हों तो टेस्ट होने तक दवा न लेंवे । मधुमेह की दवा लेकर टेस्ट से पूर्व भोजन का त्याग न करें ।
•यदि आपको पास ग्लूकोज मॉनिटर होतो उसे साथ ले जावें और टेस्ट के पूर्व और पश्चात्‌ टेस्ट कर लेंवे । यदि आपको शुगर लेवल कम दिखाई दे रहा है तो लैब के परिचारक को तुरन्त सुचना देवें ।
•ब्लड शुगर की औषधी टेस्ट के तुरन्त बाद लेने की योजना बनाएँ ।
औषधीयुक्त स्ट्रेस इकोकार्डियोग्राम में क्या होता है ?
•सबसे पहले एक तकनीशियन धीरे से आपकी छाती पर 10 जगहों पर इलेक्ट्रो़ड़ (छोटा, चपटा, चिपकने वाला पैच) रखता है । इलेक्ट्रो़ड़ को इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (इसीजी या इकेजी) मानिटर से संबद्ध किय जाता है जो कि आपके हृदय की टेस्ट के दौरान इलेक्ट्रिक क्रिया को अंकित करता है ।

•तकनीशियन विश्रामावस्था में इकोकार्डियोग्राम करता है और आपकी हृदयगति और ब्लड प्रेशर जॉंचता है। आपकी बाहो में एक अन्तःशिरा द्वारा आपके रक्त संचार में सीधी हृदय में एक दवा - डीबुटामाइन प्रवेश कराई जाती है और तकनीशियन निरन्तर इको की छवि देखता रहता है । दवा के द्वारा आपकी हृदयगति व्यायाम अवस्था जितनी बढ़ाई जाती है । और आपको तेज सॉंस आने लगती है । आपको कुछ गर्म फ्लशिंग जैसा और कुछ लोगों को धीमा सिर दर्द हो सकता है ।

•लैब का परिचारक आपको बारबार पूछता रहेगा आपको कैसा लग रहा है। यदि आपको छाती, भुजा या जबड़ों में दर्द या तकलीफ हो, सॉंस तेज हो, चक्कर हो, सिर में हल्का पन हो या किसी प्रकार का सामान्य लक्षण होतो तुरन्त उन्हें कहें।
•किसी प्रकार का भी इसीजी में परिवर्तन वह मॉनीटर में देखते रहता है और टेस्ट रोकने की सालाह देता है । दवा पूरी तरह रक्त में प्रवेश होने पर आपकी अन्तशिरा से निकाल दिया जाता है ।

•इस टेस्ट को 60 मिनिट लगते हैं । अन्तशिरा को 15 मिनिट मे समाप्त कर दिया जाता है । टेस्ट के बाद, आपको रेस्ट रूम में तब तक रखा जाता है जब तक आपके टेस्ट के दौरान उत्प लक्षण पूरी तरह से समाप्त नहीं हो जाते ।
ट्रांस इसोफेजियल इकोकार्डियोग्राम तैयारी कैसे करूँ ?

•इसोफेगस में किसी प्रकार का रोग हो तो डॉक्टर को बताएँ - जैसे हायटस हार्निया, निगलने में तकलीफ या कैंसर
•ट्रान्स इसोफेजियल इकोकार्डियोग्राम टेस्ट के दिन छः घंटे पूर्व कुछ भी न खाएँ या पीयें । डॉक्टर के निर्देशानुसार एक घूंट पानी से साथ नियमित दवा का सेवन कर सकते हैं ।
•मधुमेह के रोगी डॉक्टर के निर्देशानुसार अपनी दवा या इन्सुलिन टेस्ट से पूर्व ले सकते हैं ।
•टेस्ट के लिए अपने साथ किसी को ले जाएँ क्योंकि टेस्ट के बाद आप स्वयं एक दिन तक वाहन चालन न करें । टेस्ट में निद्राकारक औषधी दी जाती है, जिससे उनींदापन, चक्कर और निर्णय करने में असामंजस्य हो सकता है ।
ट्रांस इसोफेजियल इकोकार्डियोग्राम में क्या होता है ?

•ट्रांस इसोफेजियल इकोकार्डियोग्राम के पूर्व आपकी बत्तीसी को निकालना होगा । आपकी बाहों में अंतशिरा द्वारा एक दवा दी जाएगी ।

• सबसे पहले एक तकनीशियन धीरे से आपकी छाती पर 10 जगहों पर इलेक्टोड (छोटा, चपटा, चिपकने वाला पैच) रखता है । इलेक्ट्रो़ड़ को इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (इसीजी या इकेजी) मानिटर से संबद्ध किय जाता है जो कि आपके हृदय की टेस्ट के दौरान इलेक्ट्रिक क्रिया को अंकित करता है ।

•टेस्ट के दौरान ब्लड प्रेशर की जॉंच के लिए एक काफ आपकी बाहों में बॉंध दिया जायेगा । एक छोटा क्लिप आपकी अंगुली में लगाया जायेगा, जिसे पल्स ऑक्सीजन से संबद्ध कर दिया जाता है । इससे टेस्ट के दौरान रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा जॉंची जाती है ।

•थोड़ी-सी मात्रा में निद्राकारक औषधी (आपको तनावमुक्त रखने के लिए) अन्तशिरा से दी जाती है । इससे आप टेस्ट को दौरान पूरी तरह से सजग नहीं रहते ।

•मुँह की रिसाव के खींचने के लिए एक डेन्टल सक्शन टिप को मुँह में रखा जाता है । एक पतला सा, स्निग्ध चिकना एन्डोस्कोप (देखने का यंत्र) आपके मुँह में डाला जाता है । गले के नीचे इसोफेगस तक जाता है। सांस लेने में इससे तकलीफ नहीं होती । एण्डोस्कोप नीचे तक जाने में मदद के लिए आपको निगलने को कहा जाता है । टेस्ट यह भाग कुछ सेकण्ड में बिना तकलीफ के समाप्त हो जाता है । एक बार एण्डोस्कोप अपनी जगह पहुँचने पर यह हृदय की अलग-अलग दृष्टि से छवि लेना शुरू कर देता है । टेस्ट के इस भाग का आपको भान नहीं होता ।

•टेस्ट पूरा होने पर ट्यूब निकाल ली जाती है । टेस्ट 10- 30 मिनट में पूरा हो जाता है और फिर आपको 20-30 मिनट तक निरीक्षण में रखा जाता है ।

•टेस्ट के बाद आप घर तक किसी की मदद से जा सकते हैं । अनेस्थिसिया के स्प्रे का प्रभाव समाप्त होने तक या गले में सुनपना कम होने तक कुछ भी खाएँ या पीयें नही । इसे लगभग एक घंटा लग सकता है । आपका डॉक्टर आपके टेस्ट की चर्चा आपसे करेगा ।

हृदय के एन्जाइम का अध्ययन
हृदय के एन्जाइम के अध्ययन में क्रियेटिन फॉस्फोकाइनेज (सीपीक, सीके) और प्रोटीन ट्रोपोलिन (टी एन एल, टी एन टी)के रक्त के स्तर का अध्ययन किया जाता है । इन एन्जाइमों का और प्रोटीन का सामान्यतः रक्त में स्तर कम होता है । किन्तु हृदयाघाट होने पर एन्जाइम और प्रोटीन क्षतिग्रस्त हृदय की पेशियों से लीक होने से रक्त में इनका स्तर बढ़ जाता है ।
चूंकि ये एन्जाइम और प्रोटीन शरीर के अन्य उत्तियों में भी रहते है इसलिए जब ये उत्तियॉं क्षतिग्रस्त होती है तब भी इनका स्तर बढ़ जाता है । इसलिए हृदय के एन्जाइम का अध्ययन करते समय अन्य शारीरिक लक्षणों का विवेचन भी किया जाना आवश्यक है । साथ ही इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम का भी अध्ययन करना चाहिए ।

यह क्यों किया जाता है ?
कार्डियाक एन्जाइम का अध्ययन इन कारणों में करते हैं -
•आपको हृदयाघात का निश्चयीकरण के लिए या आपको छाती के दर्द की शिकायत करने पर, हृदयाघात की शंका (अनस्टेबल एन्जाइना), सॉंस की तेजी, मतली, पसीना और असामान्य इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम होने पर यह किया जाता है ।
•बाइपास सर्जरी के बाद हृदय की चोट की परीक्षा
•किसी हृदय सम्बन्धी कर्म जैसे परक्यूटेनियस कोरोनरी इन्टरवेंशन (पी सी आई) या रक्त के थक्के को घुलने की दवा (ब्रोनोलाइटिक दवा) देने के बाद इससे थक्का सफलता पूर्वक घुलने के सिद्ध करने के लिए ।

इसके लिए कैसे तैयार होऊँ?
•किसी प्रकार की विशेष तैयारी की जरूरत नहीं होती
•कई प्रकार की दवाएँ टेस्ट पर प्रभाव कर सकती है । अपने स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा निर्देशित या अनिर्देशित औषधि सेवन की जानकारी दे देंवे ।

यह कैसे किया जाता है?
जो डॉक्टर आपका रक्त निकालेगा वह
•आपकी बॉंह पर एक इलास्टिक पट्टा बॉंध कर आपका रक्त संचार रोके जाएगा । इससे बॉंह की शिराएँ आसानी से दृष्टिगोचर होंगी जिनमें से रक्त निकालना है ।
•अल्कोहल से उस जगह को साफ किया जाएगा ।
•सूई को शिरा में प्रवेश किया जायेगा । एक से अधिक सूइयों की जरूरत पड़ सकती है ।
•सूई को जिस ट्यूब में रक्त भरना है, उससे जोड़ा जाएगा ।
•पर्याप्त रक्त संग्रह होने पर बैंड को निकाल लिया जाएगा ।
•सूई निकाल कर उसकी जगह गॉज पैड या सूई का फाया रखा जाएगा ।
•उस जगह को दबाकर उस पर बैंडेज लगा दिया जाता है ।
•कई बार तुलना करने के लिए कार्डियक एन्जाइम टेस्ट को कई घंटों तक दोहराया जाता है । हृदयाघात का संदेह होने पर इस टेस्ट को प्रति 8 से 12 घंटे तक 1 से 2 दिन तक एन्जाइम का स्तर घटने और बढ़ने की जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जाता है ।

खतरा
शिरा से रक्त का नमूना लेने में बहुत कम ही समस्या हो सकती है, केवल सूई द्वारा छोटी सी खरोंच होती है ।
•रक्त का नमूना लेने के बाद शिरा में सूजन आना दुर्लभ होता है । इसे फ्लेबाइटिस कहा जाता है । दिन में कई बार गर्म सेंक करने से फ्लेबाइटिस की समस्या समाप्त हो जाती है ।
•रक्तस्त्राव सम्बन्धी समस्या रहने पर स्त्राव चालू रह सकता है । एस्पिरिन, और अन्य रक्त को पतला रखने वाली औषधियों से ऐसा हो सकता है । यदि आपको स्राव या रक्त जम की कोई समस्या हो अथवा इसके लिए कोई दवा ले रहे हों तो डॉक्टर को इसकी सूचना पहले ही दे देंवे ।

परिणाम

यह टेस्स्ट रक्त में क्रियेटिन फॉस्फोकाइनेस (सीपके,सीके) और प्रोटीन ट्रोपोनिन (टीएनएल, टी एन टी) के स्तर की जॉंच के लिए किया जाता है ।
इसके परिणाम एक घंटे में आ जाते हैं ।
एक लैब से दूसरे लैब के मानकों और इकाइयों में अन्तर हो सकता है । निम्नलिखित सूची आपके सामान्य संदर्भ के लिए है । अपने डॉक्टर या लैब से विशिष्ट मानकों की जानकारी ले लेंवे ।

ट्रोपनिन (टी एन एल और टी एन टी)

सामान्यः टी एन एः 0.3 माइक्रोग्राम प्रति लीटर से कम
टी एन टी 0.1 माइक्रोग्रा प्रति लीटर से कम
असामान्य: जब आपके हृदय की पेशियॉं क्षत हो जाती है तब सामान्यः स्तर से ट्रोपोनिन बढ़ जाता है । ट्रोपोनिन का रक्त में स्तर हृदयाघात के 4-6 घंटे बाद बढ़ जाता है और 10 से 24 घण्टों में वह अपनी चरम सीमा पर पहुँच जाता है । और 10 दिनों में सामान्य स्तर पर आ जाता है ।
टोटल सीपीके (क्रियेटिन फॉस्फोकारनेज)
सामान्यः पुरुषों मेः 55 - 170 अंतर्राष्ट्रीय युनिट प्रति लीटर
स्त्रियों मेः 30 - 135 अंतर्राष्ट्रीय युनिट प्रति लीटर
असामान्यः हृदयाघात के 4-8 घण्टे के भीतर सीपीके का स्तर बढ़ जाता है । 12- 24 घंटे में यह चरम स्तर पर होता है और फिर 3-4 दिन में सामान्य हो जाता है ।

सीपीके -एमवी
सामान्यः 3.0 नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर (एन जी /मिली)
टोटल सीपीके का 0%
असामान्यः हृदय की पेशियों में सीपीके -एम वी अधिक मात्रा में होता है जब आपके हृदय की पेशियॉं हृदयाघात से क्षत हो जाती है तब यह 3.0 एन जी / मिली से अधिक हो जाता है । हृदयाघात के 2-6 घंटे बाद यह स्तर बढ़ जाता है 12-24 घंटों में चरम पर होता है और 3 दिन में सामान्य हो जाता है ।

टेस्ट का क्या प्रभाव होता है ?

आपका टेस्ट कब नही किया जा सकता या टेस्ट के परिणाम निम्नलिखित स्थितियों में सहायक नहीं होते -
•अन्य बीमारियों की उपस्थिति जैसे - मस्कुलर डिस्ट्रोफी, कुछ ऑटो इम्यून रोग, रेयी का लक्षण
•अन्य हृदय रोग की कुछ आपात अवस्था में - जैसे सीपीआर, कार्डियोवर्सन या डिफाइब्रिलेशन
•दवाएँ विशेषकर पेशीगत इन्जेक्शन देने पर
•कोलेस्ट्राल रोधक दवाएं सेवन (स्टेटिन)
•अति मदिरापान
•हाल ही में व्यायाम करने पर
•गुर्दे फेल होने पर
•हाल ही में शल्यक्रिया या गंभीर चोट लगने पर
इससे क्या संदर्भ निकलता है?
•कार्डियक एन्जाइम और प्रोटीन के स्तर की तुलना हमेशा आपके लक्षण, वृतान्त, भौतिक परीक्षा और इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम के परिणामों से की जानी चाहिए ।
•हृदयाघात का निश्चय करने के लिए ट्रोपोनिन एक तुरन्त और सही तरीका है, किन्तु इसका बढ़ने के लिए 6 घंटे लगते है । इसलिए शुरू में यह समान्य रह सकता है । ट्रोपोनिन हृदय की पेशियों के लिए विशिष्ट है और सीपीके की तुलना में रक्त में अधिक समय तक रहता है ।
•सीपीके एमवी क्षत हृदय पेशी में अधिक मात्रा में रहता है और टोटल सीपीके की अपेक्षा एक निश्चित तरीका है । टोटल सीपीके स्तर अति व्यायाम, अन्तपेशी इन्जेक्शन, पेशियों की मार, मस्कूलर डिस्ट्रोफी और पेशीगत सूजन में भी बढ़ सकता है ।
•एक अन्य प्रोटीन, जिसे मायोग्लोबिन कहते हैं, भी हृदयाघात के निदान में उपयोगी हो सकता है ।

No comments:

Post a Comment