Monday, May 3, 2010

लू लगना / तापाघात

लू लगना / तापाघात

तापाघात का परिचय:
भारत जैसे समशीतोष्ण देश में जहॉं गर्मी में ऊँचा तापमान और रूखापन का वातावरण होता है वहॉं लंबे समय तक ऊँचे चढ़े सूरज की तपती धूप में लम्बे समय तक काम करते, उन्हें लू लगती है ।
इन अक्स्थाओं में लू लग सकती है -
*खुले खेतों में या जो लोग खुले में काम करते हैं जैसे इमारत बनाते समय, रोड, आटोमोबाइल और ट्रेन के मैकेनिक या इंजीनियर, इन्हें लम्बे समय तक तपती धूप में काम करना पड़ता है।
*खिलाड़ी, दौड़ाक या ग्रीष्म में भागते हैं। अनुभवहीन युवा आदि, स्वयंसेवक, जो मैराथन, साइकिलिंग में उच्चताप के वातावरण में व्यायाम करते हैं।
*भीड़ भाड़ के सार्वजनिक स्थल पर दर्शन की भीड़ में फॅंसे भक्तगण जिन्हें लम्बे समय तक कतार में खड़ा रहना पड़ता है।
*दोपहर की धूप में शारीरिक व्यायाम या परेड़ करते स्कूली छात्र । दुर्भाग्यवश कई छात्रों को तपती धूप में उनकी करतूतों की सजा दी जाती है जिसका अन्त उनके अस्पताली करण से होता है।
*खनिक, रसायनिक कारखाने के मजदूर तेज ग्रीष्म ॠतु में भीतर भी काम करते रहने पर तापाघात से ग्रसित हो जाते हैं।

तापाघात के लक्षण क्या है?

यद्यपि कुछेक लक्षण व्यक्तिगत आधार पर भि हो सकते हैं फिर भी इसके लक्षण यें हैं -
*तेज सिर दर्द
*चक्कर आना, आँखों के अंधेरी छा जाना
*दिक्‌ काल व्यामोह, अशान्ति या उलझन
*निस्तेज या थकान
*दौरे की संभावना
*गर्म रूखी चमड़ी, जो लाल होती किन्तु पसीना नहीं आता ।
*शारीरिक तापमान बढ़ जाता है
*बेहोशी
*तेज हृदय गति किन्तु ब्लड प्रेशर में गिरावट
*अधिक तीव्र रोगियों में मतिभ्रम हो सकता है।

लू की चिकित्सा कैसे की जाये ?

तापाघात के रोगी को तुरन्त चिकित्सा की जानी आवश्यक है वरन्‌ इससे स्थायी विकृति या मृत्यु भी हो सकती है। तुरन्त चिकित्सा सहायता लेंवे और नजदीकी दवाखाने में जायें । कोई सहायता मिलने से पहले ये उपचार करें -
*प्रभावित व्यक्ति को अन्दर लाएँ और ठंड़ी और हवादार जगह पर सुला देंवे ।
*सारे कपड़े उतार देंवे और ठंडे जल का छिड़काव करके पसीना लानेे के लिए पंखा चालाएँ।
*ऊरूमूल और बाहों में बर्फ लगाएँ।
*व्यक्ति पैरों को सिर से ऊँचा रखे और पीठ को ठंडा करें।
*यदि होश में हो तो गीला ठंडा और स्वच्छ टॉवेल या रूमाल में बर्फ रखकर चूसने देंवे।

और फिर चिकित्सा-

शरीरद्रव और इलेक्ट्रोलाईट की क्षतिपूर्ति के लिए अन्तःशिरा द्वारा द्रव दिया जाता है। आराम करने की सलाह दी जाती है और शरीर का तापमान तापाघात के बाद कुछ सप्ताह तक असामान्य रूप से काम ज्यादा होते रहता है।

कुछ शंका-समाधान

प्रश्न - मुझे निर्माण कार्य के कारण सारादिन बाहर ही खड़े रहना आवश्यक है। मुझे वर्तमान में गर्मी से परेशानी है और बार-बार सिरदर्द, लाल आँखें, मूत्र समस्या आदि होती रहती है।मुझे भय है कि इनसे मेरी तबियत और खराब हो सकती है। मैं क्या करूँ?
उत्तर - निश्चित ही आपको कुछ ऐसा करना पड़ेगा जिससे आप अपने स्वास्थ्य की रक्षा करते हुए इन नितान्त कारणों से काम कर सकें।12से 3 बजे दोपहर की सीधी धूप में काम करने को टालने का प्रयास कीजिए। इस समय कोई दूसरा काम श्रमिकों की मींटिंग या अन्य कोई आन्तरिक गतिविधि करिये। जहॉं तक हो सके छतरी का प्रयोग करें। लंबे समय तक धूप में रहने पर टोपी लगाएँ। ढीले, सूती और पूरी बॉंह के फीके रंग के कपड़े पहनें।दिन भर पानी, जूस, कैरी का जूस, नारियल पानी का पान अधिक करें।दिन भर में किसी भी प्रकार से 5-6 लीटर पेय जल लेंवे।
जब संभव हो ठंडे पानी से मुँह और आंखों पर झपके मार कर धोयें और इसे हवा में सूखने देवें।यह आपके शरीर के तापमान को कम करने में मदद करेगा।
याद रखें कभी भी, ठंडे पदार्थों,आइसक्रीम,अत्यंत ठंडा सॉफ्टड्रिंक या ठंडा पानी गर्मी में टालें।चरम तापमान के परिवर्तन से अचानक शरीर में समस्या हो सकती है, जैसे - सिरदर्द, गले की खराश आदि।
आपके साथ काम करनेवाले प्रत्येक व्यक्ति को उपरोक्त लिखित तापाधात के लक्षणों की जानकारी होनी चाहिए।यह एक दुर्लभ घटना है।यदि किसी को तापाघात के लक्षण हो रहे हों तो तुरन्त फर्स्ट एड देकर उसकी क्षति को बचाया जा सकता है।

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